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महाराज विक्रमादित्य | MAHARAJA VIKRAMADITYA STORY

महाराज विक्रमादित्य


भारत को सोने की चिड़िया" बनाने वाला  :- "असली राजा" कौन था ?


कौन था , वह राजा ? जिसके :- "राजगद्दी पर बैठने के बाद", उनके "श्रीमुख" से "देववाणी" ही, निकलती थी l और "देववाणी" से ही, "न्याय" होता था?


कौन था ,वह राजा ?  "जिसके":-  राज्य में "अधर्म का संपूर्ण नाश" हो गया था।


महाराज विक्रमादित्य...




बड़े ही दुख की बात है, कि :- "महाराज विक्रमादित्य" के बारे में, देश को लगभग "शून्य बराबर ज्ञान" है।



 जिन्होंने :- "भारत को सोने की चिड़िया बनाया था" और "स्वर्णिम काल" लाया था।



उज्जैन के राजा थे, गन्धर्वसैन , जिनके तीन संताने थी l  सबसे बड़ी लड़की थी l मैनावती , उससे छोटा लड़का भृतहरि और सबसे छोटा वीर विक्रमादित्य..l  बहन मैनावती की शादी धारानगरी के राजा "पदमसैन" के साथ कर दी l जिनके एक लड़का हुआ गोपीचन्द l आगे चलकर गोपीचन्द ने "श्री ज्वालेन्दर नाथ जी" से "योग दीक्षा" ले ली l और "तपस्या करने जंगलों में चले गए"..l फिर मैनावती ने भी, "श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से योग दीक्षा ले ली"।

आज ये देश और यहाँ की "संस्कृति" केवल, "विक्रमादित्य" के कारण, "अस्तित्व" में है।


अशोक मौर्य ने "बोद्ध धर्म" अपना लिया था l और बोद्ध बनकर 25 साल राज किया था।


भारत में तब "सनातन धर्म", लगभग "समाप्ति" पर आ गया था l देश में -"बौद्ध और अन्य" हो गए थे।

"रामायण, और महाभारत" जैसे "ग्रन्थ" खो गए थे l "महाराज विक्रम" ने ही, पुनः उनकी "खोज "करवा कर, "स्थापित" किया।

"विष्णु और शिव जी" के "मंदिर" बनवाये l और "सनातन धर्म" को "बचाया"l  विक्रमादित्य के 9 रत्नों में से एक -"कालिदास" ने "अभिज्ञान शाकुन्तलम्" लिखा। जिसमे "भारत का इतिहास "है l अन्यथा :- भारत का इतिहास क्या  मित्रो  ? "हम", "भगवान् कृष्ण और राम " को ही, "खो" चुके थे। हमारे -"ग्रन्थ" ही, भारत में "खोने" के कगार पर आ गए थे।

उस समय -"उज्जैन के राजा भृतहरि" ने राज छोड़कर, श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से योग की दीक्षा  ले ली l और "तपस्या" करने जंगलों में चले गए l राज अपने छोटे भाई - "विक्रमादित्य" को दे दिया. I "वीर विक्रमादित्य" भी ,श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से -"गुरू दीक्षा" लेकर, "राजपाट सम्भालने लगे"l और आज उन्ही के कारण :- "सनातन धर्म बचा हुआ है" l हमारी "संस्कृति" बची हुई है।

"महाराज विक्रमादित्य" ने केवल धर्म ही, नही बचाया ? उन्होंने देश को आर्थिक तौर पर "सोने की चिड़िया" बनाई l उनके राज को ही ,"भारत का स्वर्णिम राज: कहा जाता है।

"विक्रमादित्य" के काल में भारत का :- कपडा, विदेशी व्यपारी, "सोने के वजन" से खरीदते थे।

"भारत में इतना सोना आ गया था"..., की :-  "विक्रमादित्य काल" में - "सोने की सिक्के" चलते थे। आप "गूगल इमेज" कर ...,"विक्रमादित्य" के "सोने के सिक्के" देख सकते हैं।

"कैलंडर", जो - "विक्रम संवत" लिखा जाता है ? वह भी, "विक्रमादित्य" का स्थापित किया हुआ है।

आज जो भी, "ज्योतिष गणना" है  ? जैसे , हिन्दी सम्वंत , वार , तिथीयाँ , राशि , नक्षत्र , गोचर ,आदि, उन्ही की रचना है l वे बहुत ही, पराक्रमी , बलशाली, और बुद्धिमान, राजा थे।

कई बार तो -"देवता" भी, "उनसे न्याय करवाने आते थे"।

"विक्रमादित्य" के काल में हर "नियम" ,"धर्मशास्त्र" के हिसाब से बने होते थे। न्याय , राज, सब "धर्मशास्त्र" के नियमो पर चलता था।

"विक्रमादित्य" का काल, "प्रभु श्रीराम के राज के बाद सर्वश्रेष्ठ माना गया है"l जहाँ :-  "प्रजा", "धनी" थी l और "धर्म पर चलने वाली थी"।

◆बड़े दुःख की बात है ,की:- " भारत के सबसे महानतम राजा" :-  "विक्रमादित्य" के बारे में हमारे "स्कूलों /कालेजों" मे कोई "स्थान" नही है।

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