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पति ने पत्नी को किसी बात पर थप्पड़ जड़ दिया | Husband Wife Fight | Hindi Kahani

 पति ने पत्नी को किसी बात पर थप्पड़ जड़ दिया तो पत्नी ने भी इसके जवाब में अपना सैंडिल पति की तरफ फेंका। सैंडिल का एक सिरा पति के सिर को छूता हुआ निकल गया।

pati patni


मामला रफा-दफा हो भी जाता, लेकिन पति ने इसे अपनी तौहीन समझी, रिश्तेदारों ने मामला और पेचीदा बना दिया।  न सिर्फ़ पेचीदा बल्कि संगीन, सब रिश्तेदारों ने इसे खानदान की नाक कटना कहा, यह भी कहा कि पति को सैडिल मारने वाली औरत न वफादार होती है और न पतिव्रता।


लड़के ने लड़की के बारे में और लड़की ने लड़के के बारे में कई असुविधाजनक बातें कही।


मुकदमा दर्ज कराया गया। पति ने पत्नी की चरित्रहीनता का तो पत्नी ने दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया। छह साल तक शादीशुदा जीवन बीताने और एक बच्ची के माता-पिता होने के बाद आज दोनों में तलाक हो गया।


पति-पत्नी के हाथ में तलाक के कागज़ों की प्रति थी।


दोनों चुप थे, दोनों शांत, दोनों निर्विकार।


मुकदमा दो साल तक चला था।


अंत में वही हुआ जो सब चाहते थे यानी तलाक ................


यह केवल संयोग ही था कि दोनों पक्षों के रिश्तेदार एक ही दुकान में बैठ गए थे।  सब को कोल्ड ड्रिंक्स पीनी थी।


यह भी केवल संयोग ही था कि तलाकशुदा पति-पत्नी एक ही मेज़ के आमने-सामने जा बैठे।


लकड़ी की बेंच और वो दोनों .


"बधाई हो .... आप जो चाहते थे वही हुआ ....'' स्त्री ने कहा।


''तुम्हें भी बधाई ..... तुमने भी तो तलाक दे कर जीत हासिल की ....'' पुरुष बोला।


''तलाक क्या जीत का प्रतीक होता है?'' स्त्री ने पूछा।


''तुम बताओ?''


पुरुष के पूछने पर स्त्री ने जवाब नहीं दिया, वो चुपचाप बैठी रही, फिर बोली, ''तुमने मुझे चरित्रहीन कहा था....

अच्छा हुआ.... अब तुम्हारा चरित्रहीन स्त्री से पीछा छूटा।''


''वो मेरी गलती थी, मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था'' पुरुष बोला।


''मैंने बहुत मानसिक तनाव झेला है'', स्त्री की आवाज़ सपाट थी न दुःख, न गुस्सा।


''जानता हूँ पुरुष इसी हथियार से स्त्री पर वार करता है, जो स्त्री के मन और आत्मा को लहू-लुहान कर देता है... तुम बहुत उज्ज्वल हो। मुझे तुम्हारे बारे में ऐसी गंदी बात नहीं करनी चाहिए थी। मुझे बेहद अफ़सोस है, '' पुरुष ने कहा।


स्त्री चुप रही, उसने एक बार पुरुष को देखा।


कुछ पल चुप रहने के बाद पुरुष ने गहरी साँस ली और कहा, ''तुमने भी तो मुझे दहेज का लोभी कहा था।''


''गलत कहा था''.... पुरुष की ओऱ देखती हुई स्त्री बोली।


कुछ देर चुप रही फिर बोली, ''मैं कोई और आरोप लगाती लेकिन मैं नहीं...''


प्लास्टिक के कप में चाय आ गई।


स्त्री ने चाय उठाई, चाय ज़रा-सी छलकी। गर्म चाय स्त्री के हाथ पर गिरी।


स्सी... की आवाज़ निकली।


पुरुष के गले में उसी क्षण 'अरे...' की आवाज़ निकली। स्त्री ने पुरुष को देखा। पुरुष स्त्री को देखे जा रहा था।


''तुम्हारा कमर दर्द कैसा है?''


''ऐसा ही है कभी वोवरॉन तो कभी काम्बीफ्लेम,'' स्त्री ने बात खत्म करनी चाही।


''तुम एक्सरसाइज भी तो नहीं करती।'' पुरुष ने कहा तो स्त्री फीकी हँसी हँस दी।


''तुम्हारे अस्थमा की क्या कंडीशन है... फिर अटैक तो नहीं पड़े????'' स्त्री ने पूछा।


''अस्थमा।डॉक्टर ने स्ट्रेन... मेंटल स्ट्रेस कम करने को कहा है, '' पुरुष ने जानकारी दी।


स्त्री ने पुरुष को देखा, देखती रही एकटक। जैसे पुरुष के चेहरे पर छपे तनाव को पढ़ रही हो।


''इनहेलर तो लेते रहते हो न?'' स्त्री ने पुरुष के चेहरे से नज़रें हटाईं और पूछा।


''हाँ, लेता रहता हूँ। आज लाना याद नहीं रहा, '' पुरुष ने कहा।


''तभी आज तुम्हारी साँस उखड़ी-उखड़ी-सी है, '' स्त्री ने हमदर्द लहजे में कहा।


''हाँ, कुछ इस वजह से और कुछ...'' पुरुष कहते-कहते रुक गया।


''कुछ... कुछ तनाव के कारण,'' स्त्री ने बात पूरी की।


पुरुष कुछ सोचता रहा, फिर बोला, ''तुम्हें चार लाख रुपए देने हैं और छह हज़ार रुपए महीना भी।''


''हाँ... फिर?'' स्त्री ने पूछा।


''वसुंधरा वाले फ्लैट की कीमत तो बीस लाख रुपए होगी??? मुझे सिर्फ चार लाख रुपए चाहिए....'' स्त्री ने स्पष्ट किया।


''बिटिया बड़ी होगी... सौ खर्च होते हैं....'' पुरुष ने कहा।


''वो तो तुम छह हज़ार रुपए महीना मुझे देते रहोगे,'' स्त्री बोली।


''हाँ, ज़रूर दूँगा।''


''चार लाख अगर तुम्हारे पास नहीं है तो मुझे मत देना,'' स्त्री ने कहा।


उसके स्वर में पुराने संबंधों की गर्द थी।


पुरुष उसका चेहरा देखता रहा....


कितनी सह्रदय और कितनी सुंदर लग रही थी सामने बैठी स्त्री जो कभी उसकी पत्नी हुआ करती थी।


स्त्री पुरुष को देख रही थी और सोच रही थी, ''कितना सरल स्वभाव का है यह पुरुष, जो कभी उसका पति हुआ करता था। कितना प्यार करता था उससे...


एक बार हरिद्वार में जब वह गंगा में स्नान कर रही थी तो उसके हाथ से जंजीर छूट गई। फिर पागलों की तरह वह बचाने चला आया था उसे। खुद तैरना नहीं आता था लाट साहब को और मुझे बचाने की कोशिशें करता रहा था... कितना अच्छा है... मैं ही खोट निकालती रही...''


पुरुष एकटक स्त्री को देख रहा था और सोच रहा था, ''कितना ध्यान रखती थी, स्टीम के लिए पानी उबाल कर जग में डाल देती। उसके लिए हमेशा इनहेलर खरीद कर लाती, सेरेटाइड आक्यूहेलर बहुत महँगा था।


हर महीने कंजूसी करती, पैसे बचाती, और आक्यूहेलर खरीद लाती। दूसरों की बीमारी की कौन परवाह करता है? ये करती थी परवाह! कभी जाहिर भी नहीं होने देती थी।


कितनी संवेदना थी इसमें। मैं अपनी मर्दानगी के नशे में रहा। काश, जो मैं इसके जज़्बे को समझ पाता।''


दोनों चुप थे, बेहद चुप।


दुनिया भर की आवाज़ों से मुक्त हो कर, खामोश।


दोनों भीगी आँखों से एक दूसरे को देखते रहे....


''मुझे एक बात कहनी है, '' आवाज़ में झिझक थी।


''कहो, '' स्त्री ने सजल आँखों से उसे देखा।


''डरता हूँ,'' पुरुष ने कहा।


''डरो मत। हो सकता है तुम्हारी बात मेरे मन की बात हो,'' स्त्री ने कहा।


''तुम बहुत याद आती रही,'' पुरुष बोला।


''तुम भी,'' स्त्री ने कहा।


''मैं तुम्हें अब भी प्रेम करता हूँ।''


''मैं भी.'' स्त्री ने कहा।


दोनों की आँखें कुछ ज़्यादा ही सजल हो गई थीं।


दोनों की आवाज़ भावुक और चेहरे मासूम।


''क्या हम दोनों जीवन को नया मोड़ नहीं दे सकते?'' पुरुष ने पूछा।


''कौन-सा मोड़?''


''हम फिर से साथ-साथ रहने लगें... एक साथ... पति-पत्नी बन कर... बहुत अच्छे दोस्त बन कर।''


''ये पेपर?'' स्त्री ने पूछा।


''फाड़ देते हैं।'' पुरुष ने कहा औऱ अपने हाथ से तलाक के कागजात फाड़ दिए।


फिर स्त्री ने भी वही किया। दोनों उठ खड़े हुए। एक दूसरे के हाथ में हाथ डाल कर मुस्कराए। दोनों पक्षों के रिश्तेदार हैरान-परेशान थे। दोनों पति-पत्नी हाथ में हाथ डाले घर की तरफ चले गए। घर जो सिर्फ और सिर्फ पति-पत्नी का था ।।


पति पत्नी में प्यार और तकरार एक ही सिक्के के दो पहलू हैं जरा सी बात पर कोई ऐसा फैसला न लें कि आपको जिंदगी भर अफसोस हो ।।

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